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Sunday 28 September 2014

पानी का जाल बुनता है दरिया तो फिर बुने By Munawwar Rana

पानी का जाल बुनता है दरिया तो फिर बुने
तैराक जानता है हथेली से काटना
रहता है दिन में रात के होने का इंतज़ार
फिर रात को दवाओं की गोली से काटना….

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